पर्यावरण एवं विज्ञान >> मेंडलीफ मेंडलीफगुणाकर मुले
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आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी, और अध्यापक ‘मेंडेलीफ’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएंगे।
मेंडेलीफ आज यदि हम किसी स्कूल-कॉलेज में रसायन-विज्ञान की प्रयोगशाला या कक्षा में जाएं, तो वहां दीवार पर टंगा हुआ एक चार्ट अवश्य देखने को मिलेगा। यह है - तत्वों की ‘आवर्त्त-तालिका’ का चार्ट, जिसकी खोज रूस के महान वैज्ञानिक दिमित्री मेंडेलीफ (1834-1907 ई.) ने 1869 ई. में की थी। इस आवर्त्त-तालिका को देखने से ही तत्वों के परमाणु-भार और उनके अन्य कई गुणधर्मों के बारे में तत्काल जानकारी मिल जाती है। मेंडेलीफ के पहले तत्वों के अध्ययन में कोई तारतम्यता नहीं थी। मेंडेलीफ ने तत्वों को उनके परमाणु-भार के अनुसार सात स्तंभों की एक तालिका में सजाया, तो उनमें एक नियमबद्धता दिखाई दी। वस्तुजगत में जहां पहले अनेकरूपता दिखाई देती थी, उसके मूल में यह अद्भुत एकसूत्रता प्रकट हुई। मेंडेलीफ ने जब आवर्त्त-तालिका की खोज की, तब वैज्ञानिकों को 63 मूलतत्व ही मालूम थे। उस समय आवर्त्त-तालिका में कई स्थान अभी खाली थे। लेकिन मेंडेलीफ के जीवनकाल में 86 तत्व खोजे जा चुके थे। आज यदि हम आवर्त्त-तालिका को देखें, तो उसमें 110 के आसपास तत्व दिखाई देंगे। उसमें आप यह भी देखेंगे कि 101 नंबर के तत्व का नाम ‘मेंडेलेवियम’ है - मेंडेलीफ की महान खोज ‘आवर्त्त-तालिका’ में स्वयं उनके नामवाला एक तत्व! मेंडेलीफ का जीवन परिश्रम, लगन, त्याग और सेवाभाव की एक लंबी कथा है। वे अपने स्वभाव में ही नहीं, वेश-भूषा में भी एक ऋषि-मुनि जैसे दिखते थे। वे एक सफल अध्यापक थे। उनके विद्यार्थी उन्हें बेहद प्यार करते थे। उनकी शवयात्रा में उनके विद्यार्थी एक लंबे-चौड़े बोर्ड को ऊपर उठाए आगे-आगे चल रहे थे। उस बोर्ड पर अंकित थी मेंडेलीफ की महान खोज - तत्वों की आवर्त्त-तालिका! आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी, और अध्यापक ‘मेंडेलीफ’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएंगे।
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