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			 बहु भागीय सेट >> मोती किसके मोती किसकेविष्णु प्रभाकर
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इसमें 10 कहानियों का वर्णन किया गया है।
Moti Kiske A Hindi Book by Vishnu Prabhakar
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मोती किसके
सौराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। बेचारा अनपढ़ था। थोड़ी-सी जमीन पर खेती करता था। एक बार जैसे ही बरसात शुरू हुई, उसका बैल मर गया। दुखी होकर वह मित्रों और सेठों के पास बैल खरीदने के लिए पैसे माँगने गया, लेकिन किसी ने उसकी सहायता नहीं की।
 
घनघोर वर्षा आरम्भ हो गई। किसान के मन खुशी से भर उठे सबने जुताई शुरू कर दी लेकिन वह किसान क्या करता,। वह बहुत दुखी हुआ। तब उसकी पत्नी ने कहा, ‘‘स्वामी, बुवाई तो ठीक समय पर होनी ही चाहिए क्योंकि बोना और घी ताना यदि समय पर न हो, तो बेकार हो जाते हैं, इसलिए दूसरे बैल के स्थान पर मैं जुत जाऊँगी।’’
 
किसान यह सुनकर बहुत दुखी हुआ, लेकिन और कोई रास्ता भी नहीं था। वह खेत में पहुँचा और हल में एक ओर बैल को और दूसरी ओर अपनी पत्नी को जोतकर खेत जोतने लगा।
 
किसान जल्दी-जल्दी बुवाई करने की उतावली में तेजी से हल चला रहा था। उसकी पत्नी बेहद थक गई थी, लेकिन उसे इस बात की कोई चिन्ता नहीं थी संयोग से उसी समय वहाँ का राजा उधर से गुजरा। उसने यह दृश्य देखा तो उसका मन भर आया। किसान से बोला, ‘‘भाई, बैल के स्थान पर स्त्री को हल में जोतना उचित नहीं है। तुम इसे छोड़ दो। इतने निर्दयी मत बनो।’’
 
किसान राजा को नहीं पहचानता था। बोला, ‘‘आया है, बड़ा दया दिखाने वाला। क्या तुझे नहीं पता है कि यह बुवाई का मौसम है। अगर आज बीज न बो सका तो क्या खाऊँगा ? बैल खरीदने के लिए किसी ने एक पैसा नहीं दिया।’’
राजा ने किसान की यह बात सुनकर कहा, ‘‘तुम्हें बैल की जरूरत है। मैं अभी बैल मँगवाता हूँ।
 
 
यह कहकर उसने अपने आदमी को बैल लाने के लिए भेजा परन्तु किसान एक क्षण भर रुकने को तैयार नहीं था। यह देखकर राजा ने कहा, ‘‘अरे भले आदमी,, कुछ तो रुक। अभी बैल आ जाता है।
किसान तिनक कर बोला, ‘‘बड़ी दया आ रही है। तब तुम ही क्यों नहीं हल में जुत जाते ?’’
घनघोर वर्षा आरम्भ हो गई। किसान के मन खुशी से भर उठे सबने जुताई शुरू कर दी लेकिन वह किसान क्या करता,। वह बहुत दुखी हुआ। तब उसकी पत्नी ने कहा, ‘‘स्वामी, बुवाई तो ठीक समय पर होनी ही चाहिए क्योंकि बोना और घी ताना यदि समय पर न हो, तो बेकार हो जाते हैं, इसलिए दूसरे बैल के स्थान पर मैं जुत जाऊँगी।’’
किसान यह सुनकर बहुत दुखी हुआ, लेकिन और कोई रास्ता भी नहीं था। वह खेत में पहुँचा और हल में एक ओर बैल को और दूसरी ओर अपनी पत्नी को जोतकर खेत जोतने लगा।
किसान जल्दी-जल्दी बुवाई करने की उतावली में तेजी से हल चला रहा था। उसकी पत्नी बेहद थक गई थी, लेकिन उसे इस बात की कोई चिन्ता नहीं थी संयोग से उसी समय वहाँ का राजा उधर से गुजरा। उसने यह दृश्य देखा तो उसका मन भर आया। किसान से बोला, ‘‘भाई, बैल के स्थान पर स्त्री को हल में जोतना उचित नहीं है। तुम इसे छोड़ दो। इतने निर्दयी मत बनो।’’
किसान राजा को नहीं पहचानता था। बोला, ‘‘आया है, बड़ा दया दिखाने वाला। क्या तुझे नहीं पता है कि यह बुवाई का मौसम है। अगर आज बीज न बो सका तो क्या खाऊँगा ? बैल खरीदने के लिए किसी ने एक पैसा नहीं दिया।’’
राजा ने किसान की यह बात सुनकर कहा, ‘‘तुम्हें बैल की जरूरत है। मैं अभी बैल मँगवाता हूँ।
यह कहकर उसने अपने आदमी को बैल लाने के लिए भेजा परन्तु किसान एक क्षण भर रुकने को तैयार नहीं था। यह देखकर राजा ने कहा, ‘‘अरे भले आदमी,, कुछ तो रुक। अभी बैल आ जाता है।
किसान तिनक कर बोला, ‘‘बड़ी दया आ रही है। तब तुम ही क्यों नहीं हल में जुत जाते ?’’
 
						
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