कहानी संग्रह >> तुम कहो तो तुम कहो तोसीतेश आलोक
|
8 पाठकों को प्रिय 449 पाठक हैं |
ये कहानियाँ न तो किसी साँचे में ढलकर निकलती हैं और न किसी वाद अथवा पूर्वाग्रह के रंग में रँगकर आती हैं। मनो को छूनेवाली कोई भी घटना,कोई भी परिस्थिति,अवसर पाकर किसी स्मरणीय रचना का रूप ले लेती है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book