कविता संग्रह >> आशा बलवती है राजन् आशा बलवती है राजन्नंद चतुर्वेदी
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आशा बलवती है राजन' की कविताओं में आशा-निराशा के बीच फंसी जिंदगी का प्रज्वलन अनेक रूपों में व्यंजित है।
अभावों से विदग्ध जिंदगी का पार्श्व मुझे अध्यात्म का पार्श्व जैसा लगने लगा। 'आशा बलवती है राजन' की कविताओं में आशा-निराशा के बीच फंसी जिंदगी का प्रज्वलन अनेक रूपों में व्यंजित है। गौरतलब है कि अभावग्रस्त दुनिया के साथ अपनी कविता को संदर्भित रखना मेरा अपना निर्णय था, इसलिए दूसरी सब खिर्कियाँ खुली थीं। कविता की निजता इस तरह सुरक्षित थी और कविता के कलात्मक वैभव, वर्ण्य विषयों के चयन की स्वाधीनता भी। मेरी कविताएँ इस संग्रह तक की अपने समय, व्यवस्था और उससे उत्पन्न तृष्णाओं, क्लेशों, लम्पटताओं से जुडी हैं। में अस्थिर, अधीर समय का कवित हूँ-अपने निर्मित सपनों पर संशय करता, इसलिए मैं 'कालजयी' कविताएँ लिखने के दंभ से मुक्त हूँ। अपनी कविताओं को मैंने समय से विमुख नहीं होने दिया। मैं विश्वास करता हूँ कि कविता की सबसे बड़ी शक्ति समय की पेचीदगियों, गांठों, प्रतिकूलताओं को अभिव्यक्ति देना है। कविता की शक्ति और स्वायत्ता यदि है तो यही है।
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