लोगों की राय

पर्यावरण एवं विज्ञान >> आपेक्षिकता सिद्धांत क्या है

आपेक्षिकता सिद्धांत क्या है

गुणाकर मुले

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13687
आईएसबीएन :9788126711352

Like this Hindi book 0

हिंदी माध्यम से ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन करने वाले पाठकों के लिए आपेक्षिकता सिद्धांत के शताब्दी वर्ष में यह पुस्तक एक अनमोल उपहार की तरह है।

आपेक्षिकता सिद्धांत क्या है महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिकता-सिद्धांत को वैज्ञानिक चिंतन की दुनिया में एक क्रांतिकारी खोज की तरह देखा जाता है। इस सिद्धांत ने विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए एक नया साधन तो प्रस्तुत किया ही है, मानव चिंतन को भी गहराई से प्रभावित किया है। अब द्रव्य, गति, आकाश और काल के स्वरूप को नए नजरिए से देखा जा रहा है। सन् 1905 में ‘विशिष्ट आपेक्षिकता’ का पहली बार प्रकाशन हुआ, तो इसे बहुत कम वैज्ञानिक समझ पाए थे, इसके बहुत-से निष्कर्ष पहेली-जैसे प्रतीत होते थे। आज भी इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धांत माना जाता है। लेकिन इस पुस्तक में आपेक्षिकता के सिद्धांत को, गणितीय सूत्रों का उपयोग किए बिना, इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि इसकी महत्त्वपूर्ण बातों को सामान्य पाठक भी समझ सकते हैं। संसार की कई प्रमुख भाषाओं में अनूदित इस पुस्तक के लेखक हैं, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रख्यात भौतिकवेत्ता लेव लांदाउ$ और उनके सहयोगी यूरी रूमेर। परिशिष्ट में इनका जीवन-परिचय भी दिया गया है। इतिहास-पुरातत्त्व और वैज्ञानिक विषयों के सुविख्यात लेखक गुणाकर मुळे ने सरल भाषा में इस पुस्तक का अनुवाद किया है। कई वैज्ञानिक शब्दों और कथनों को स्पष्ट करने के लिए अनुवादक ने पाद-टिप्पणियाँ भी दी हैं। साथ ही, परिशिष्ट में ‘विशिष्ट शब्दावली’ तथा ‘पारिभाषिक शब्दावली’ के अलावा अल्बर्ट आइंस्टाइन की संक्षिप्त जीवनी भी जोड़ी गई है, चित्रों सहित। हिंदी माध्यम से ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन करने वाले पाठकों के लिए आपेक्षिकता सिद्धांत के शताब्दी वर्ष में यह पुस्तक एक अनमोल उपहार की तरह है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book