लोगों की राय

संस्कृति >> विवाह संस्कार: स्वरूप एवं विकास

विवाह संस्कार: स्वरूप एवं विकास

तापी धर्माराव

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :119
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 13670
आईएसबीएन :9788171196142

Like this Hindi book 0

तेलुगु के ख्यात लेखक तापी धर्माराव के लेखन का आधार इतिहास व किंवदन्तियों का वैज्ञानिक अन्वेषण है।

विवाह संस्कार : स्वरूप एवं विकास तेलुगु के ख्यात लेखक तापी धर्माराव के लेखन का आधार इतिहास व किंवदन्तियों का वैज्ञानिक अन्वेषण है। प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर उन्होंने सामाजिक यथार्थ की पुस्तकें लिखी हैं। स्थापित रूढ़ मान्यताओं के पैरवीकारों को थोड़ी आपत्ति अवश्य हो सकती है, लेकिन इन मुद्दों पर विचार करने के लेखकीय आग्रह को वे टाल नहीं सकते। यह पुस्तक विवाह संस्कार के स्वरूप और विकास का बखुबी मनोविश्लेषण करती है। नर तथा नारी के सम्बन्धो के समाज पर पड़े प्रभाव के कारण बहुतेरी कुप्रथाएँ भी प्रचलित हो जाती हैं और उचित जानकारी के अभाव में यह यथावत् रहती हैं। यदि समाज के सम्मुख इन कुप्रथाओं को उजागर किया जाए तो इसके नैतिक स्वरूप में परिवर्तन सम्भव है। समस्याओं की यथावत् पहचान कर उन्हें स्पष्ट कर दिया जाए तो स्वयमेव उनके नैतिक स्वरूप में अन्तर आ जाता है। ऐसा ही सार्थक प्रयास तापी धर्माराव ने अपनी इस समाज–मनोविज्ञान की पुस्तक में किया है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book