आलोचना >> सूरीनाम का सृजनात्मक हिन्दी साहित्य सूरीनाम का सृजनात्मक हिन्दी साहित्यविमलेश कांति वर्माभावना सक्सेना
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भारत से हजारों मील दूर स्थित एक देश में लिखी ये रचनाएँ प्रवासी भारतीयों की संघर्ष-कथा का साहित्यिक दस्तावेज हैं जिनका ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय महत्त्व है।
सूरीनाम का सृजनात्मक हिंदी साहित्य', भारत से चौदह हजार चार सौ अट्ठारह किलोमीटर दूर दक्षिण अम्रीका के उत्तरी पश्चिमी शीर्ष पर करेबियन सागर के तट पर बसे सूरीनाम देश के प्रवासी भारतीयों की सृजनात्मक अभिव्यक्तियों का प्रमाणिक संकलन है। इस पुटक का पहला खंड सूरीनाम में हिंदी के विकास और स्वरुप का परिचय देता है और सूरीनाम के सृजनात्मक साहित्य का एक संशिप्त अनुशीलन प्रस्तुत करता है। दूसरा खंड साहित्य संचयन का है जिसमे सूरीनाम के 27 प्रतिशित साहित्यकारों की विभिन्न विधाओं में लिखी रचनाएँ आपको पढ़ने को मिलेंगी। प्रस्तुत संकलन की एक विशिष्टता यह भी है कि इस संकलन में आपको सनामी हिंदी की रचनाएँ पहली बार पढ़ने को मिलेंती। भारत से हजतों मील दूर स्थित एक देश में लिखी ये रचनाएँ प्रवासी भारतीयों की संघर्ष-कथा का साहित्यिक दस्तावेज हैं जिनका एतिहासिक और समाजशास्त्रीय महत्त्व है। ये रचनाएँ हिंदी के विश्व्यापी स्वरुप का परिचय भी देती है।
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