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शेरों से मेरी मुलाकातें

शेरजंग

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13637
आईएसबीएन :8171197531

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शेरजंग की इस किताब में एक शिकारी का रोमांच भी है और शेरों के प्रति बाल सहज जिज्ञासा के जवाब भी

‘‘अचानक जंगल में सन्नाटा गहरा गया। उस गहरे सन्नाटे को चीरती हाथियों के चिंघाड़ने की आवाजें, तभी एक अजीब–सी आवाज हाथियों की ओर से आई। मैं समझ गया कि यह वही आवाज है जो हाथी अपनी सूँड जमीन पर पटककर निकालते हैं लेकिन सिर्फ शेर के आसपास होने पर–– और फिर सारा जंगल शेर की दहाड़ से काँप उठा।’’ शेर से नजदीकी का हैरतअंगेज–रोमांच और एक शिकारी होने का एहसास आपके जेहन को गुदगुदाये बिना नहीं रहेगा। हास्य और व्यंग्य से सँवारे ये लेखक के नितांत अपने अनुभव हैं। शेरजंग की इस किताब में एक शिकारी का रोमांच भी है और शेरों के प्रति बाल सहज जिज्ञासा के जवाब भी। शुरू करते ही एक रोचकता पाठक को जकड़ते हुए, एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ शेर ही नहीं जंगल के सारे जानवरों का एहसास होता है। जिसमें शामिल हैं उनकी आदतें, व्यवहार और उनका जीवन–चक्र।

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