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उपन्यास >> रूपान्तर

रूपान्तर

राधाकृष्ण

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13613
आईएसबीएन :9788183615563

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अत्यन्त विचारोत्तेजक उपन्यास

‘रूपान्तर’ कथाकार राधाकृष्ण का एक विशिष्ट उपन्यास है। इसमें संस्कृति के कुछ दुर्लभ प्रसंगों के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों को विश्लेषित किया गया है। चक्रवर्ती सम्राट मान्धाता का विविध आयामों में विकसित होता द्वन्द्वपूर्ण व्यक्तित्व उपन्यास का आकर्षण है। साथ ही तपस्वी सौभरि का विराग-योग जिस प्रकार परिवर्तित होता है, वह विस्मयपूर्ण है। इन दो चरित्रों का दो ध्रुवों पर स्थित चरित्र-चित्रण लेखक ने पूर्ण तन्मयता के साथ किया है। मान्धाता का द्वन्द्व है - उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक की भूमि को अपने प्रबल पराक्रम से पददलित, करनेवाले चक्रवर्ती सम्राट मान्धाता की दारुण वेदना - अब किस पर विजय? सौभरि की समस्या है - तपश्चर्या और साधना में शरीर को तृणवत् उपेक्षित करने वाले ध्यान-योगी सौभरि का मानसिक द्वन्द्व, शरीर रसहीन क्यों नहीं हो पाता? अत्यन्त विचारोत्तेजक उपन्यास।

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