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नारी विमर्श >> नारी कामसूत्र

नारी कामसूत्र

विनोद वर्मा

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :343
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13567
आईएसबीएन :9788183615242

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काम को आत्मज्ञान की चरम सीमा तक ले जाना ही इस पुस्तक का ध्येय है


एक अत्याचारी नर को भी नारी के प्रति निष्ठुर नहीं होना चाहिए। याद रखो, नारी पर ही इंद्रिय सुख, आनंद तथा नैतिकता निर्भर है। नारी उस पवित्र क्षेत्र के समान है जिसमें मानव का जन्म होता है; ऋषियों में भी इतनी शक्ति नहीं है कि वे बिना नारी के प्रजनन कर सके।
महाभारत
1,74-(51-52)

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