कविता संग्रह >> देह की भाषा देह की भाषासुरेश कुमार वशिष्ठ
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सुरेश की कविताओं में भाषाई सहजता है, जिनमे उनके स्वभाव का भोलापन है
देह की भाषा सुरेश कुमार वशिष्ट का पहला कविता संग्रह है। गाँव और माती से जुड़े सुरेश सामाजिक अंतःकरण रखने वाले कवि हैं और इसी दायरे में रिश्तों की तलाश करते हैं। वे अपनी परिस्थिति और अपनी काव्यवस्तु से प्रगीतात्मक रिश्ता बनाकर जीवन के अनुभव की अखंडता और भाव-जगत की सच्चाई को शब्दों में समेट लेते हैं। वे प्रेम के चित्र उकेरते हुए जीवन से एक अपूर्व सांगीतिक लय बनाए रखने में सफल साबित होते हैं। देह की भाषा में कवि का विनम्र मानववाद जीवन के राग-रंग और रति के अलावा समय से जुड़े संकट, व्यक्ति की पीड़ा, उसके रुदन-चिंता और आघात से रागात्मक लगाव रखने में सफल साबित होता है।
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