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सामाजिक विमर्श >> और बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा (खंड 1-5)

और बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा (खंड 1-5)

एल जी मेश्राम विमलकीर्ति

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13401
आईएसबीएन :9788183612050

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पांच खंडो में विभाजित इस रचनावली में डॉ. अम्बेडकर की उसी सामग्री को लिया गया है जो अभी तक केवल मराठी में उपलब्ध थी

वह अम्बेडकर ही थे जिनके सिद्धांतों ने दलित वर्ग को नई चेतना प्रदान की। और बाबासाहेब अम्बेडकर ने कहा....उन्हीं के 1920 से लेकर 1956 तक के लेखों, अभिलेखों और अभीभाषणों का संकलन है। पांच खंडो में विभाजित इस रचनावली में डॉ. अम्बेडकर की उसी सामग्री को लिया गया है जो अभी तक केवल मराठी में उपलब्ध थी। हमें ख़ुशी है कि हम इस सामग्री को पहली बार सीधे हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं। पहले खंड में बाबासाहेब के 1920 से 1928 तक के लेख व् अभिभाषण प्रस्तुत हैं। अपने भाषणों में डॉ. अम्बेडकर ने जहाँ ब्राह्मणवाद पर कड़ा प्रहार किया, वहीँ उन्होंने दलितों को भी नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। प्रथम खंड में प्रस्तुत सामग्री बताती है कि किस तरह से हजारों सालों से दलितों पर हो रही जुल्म-ज्यादतियों के खिलाफ लड़ने के लिए बाबासाहेब ने दलित वर्ग को मानसिक रूप से सुदृढ़ किया और उन्हें उनके उद्दार का रास्ता भी दिखाया। उसमे कोई संदेह नहीं कि यह खंड दलित वर्ग ही नहीं बल्कि सामाजिक क्रांति में विश्वास रखनेवाले सभी महानुभावों की जिज्ञासाओं को तुष्ट करेगा।

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