भाषा एवं साहित्य >> अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान: सिध्दांत एवं प्रयोग अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान: सिध्दांत एवं प्रयोगरविंद्रनाथ श्रीवास्तव
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प्रस्तुत पुस्तक हिंदी भाषा की संरचना के विविध आयामों पर प्रकाश डालती है
प्रो. रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव भारतीय भाषा-समुदायों, विशेषकर हिंदी भाषा-समुदाय की संरचना को व्याख्यायित करने की ओर उन्मुख विद्वानों में अग्रणी रहे हैं।
प्रस्तुत पुस्तक हिंदी भाषा की संरचना के विविध आयामों पर प्रकाश डालती है। विभिन्न व्याकरणाचार्यों के विचारों से सहमति-असहमति प्रकट करते हुए प्रो. श्रीवास्तव ने विभिन्न लेखों में तार्किक उक्तियों द्वारा अपने पक्ष को पुष्ट किया है। उनके चिंतन की गहराई तथा साफ-सुथरा विवेचन सर्वत्र विद्यमान है। हिंदी भाषा की व्याकरणिक संरचना को आरेख के रूप में सम्भवतः पहली बार प्रो. श्रीवास्तव ने तैयार किया था, उसे भी इस पुस्तक में दे दिया गया है।
पाठकों के सम्मुख यह पुस्तक रखते हुए दुख और संतोष दोनों की मिली-जुली अनुभूति हो रही है। दुख इस बात का कि यह पुस्तक उनके जीवनकाल में प्रकाशित न हो सकी, और संतोष यह कि उनका यह महत्त्वपूर्ण अध्ययन पाठकों तक पहुँच पा रहा है।
आशा है यह पुस्तक तथा इस शृंखला की अन्य पुस्तकें भी प्रो. श्रीवास्तव के भाषा-चिंतन को प्रभावशाली ढंग से अध्येताओं तक पहुँचाएँगी और हिंदी भाषा के प्रति स्नेह एवं लगाव रखनेवाली मनीषी भाषाविद् प्रो. रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव की स्मृति को ताजा रखेंगी।
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