लोगों की राय

कविता संग्रह >> सूरसागर सटीक (1 - 2)

सूरसागर सटीक (1 - 2)

हरदेव बाहरी

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :513
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13326
आईएसबीएन :9788180314902

Like this Hindi book 0

सूरसागर के प्रस्तुत संस्करण को यथासम्भव पूर्ण और उपयोगी बनाने की चेष्टा की गई है

सूरसागर का प्रस्तुत संस्करण दो भागों में प्रकाशित हो रहा है। प्रत्येक भाग में 1००० से कुछ अधिक पद होंगे 1 पदों की व्याख्या करना इसका उद्देश्य नहीं है। यह सम्भव है कि किन्हीं अंशों के एक से अधिक अर्थ निकलते हों, किन्तु स्थानाभाव के कारण अनेक अर्थ दे पाना सम्भव नहीं था। पदों में जो कठिन शब्द आए हैं, उन्हें अंग्रेजी अंक देकर संकेतिक कर दिया गया है। इससे पाठकों को स्वतंत्र रूप से अर्थ चिंतन की सुविधा रहेगी।
भूमिका में सूरसागर के संकलनों और संस्करणों पर विचार करने के पश्चात् सूरसागर के दर्शन भक्तिपक्ष भावप्रसार अभिव्यंजना-कौशल, पद-शैली, भाषा आदि विषयों का विवेचन किया गया है जिससे सूरसागर की आत्मा को समझने में सहायता मिलेगी।
इस प्रकार हमने सूरसागर के प्रस्तुत संस्करण को यथासम्भव पूर्ण और उपयोगी बनाने की चेष्टा की है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book