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रेत की मछली

कान्ता भारती

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :148
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13280
आईएसबीएन :8180310915

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श्रीमती कान्ता भारती ने अपने इस उपन्यास 'रेत की मछली' में' लेखकीय जीवन और उसके निकट परिवेश को मानवीय संदर्भो में रचने का प्रयास किया है

लेखक संपूर्ण जीवन को अपनी रचना का विषय बनाता है, रचता है। ऐसे लेखक को फिर अपनी रचना का विषय बनाना एक विषेष प्रकार के अनुभव और संवेदनशीलता की अपेक्षा रखता है। श्रीमती कान्ता भारती ने अपने इस उपन्यास 'रेत की मछली' में' लेखकीय जीवन और उसके निकट परिवेश को मानवीय संदर्भो में रचने का प्रयास किया है। विदेशी साहित्यों मे इस प्रकार की कई औपन्यासिक कृतियाँ प्रसिद्ध हुई है; हिन्दी में यह अनुभव-क्षेत्र अभी नया है, और विशेष संभावनाओ से युक्त है। कान्ता की यह कथा-कृति अपने ब्यौरों में कही निर्मम है तो कहीं सहानुभूतिपूर्ण भी, और इस माने में जीवन के सही अनुपात, को साधती है। पाठक यहाँ रचना की पृष्ठभूमि को रचना के रूप में पाकर एक नये अनुभव-संसार में प्रवेश करता है, जहाँ उसके लिए बहुत-सी उपलब्धियाँ संभव हैं।

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