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राग दरबारी का महत्व

मधुरेश

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :231
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 13264
आईएसबीएन :9788180319860

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निसंग और सोद्‌देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिन्दी का शायद यह पहला उपन्यास है। फिर भी रागदरबारी व्यंग्य कथा नहीं है

श्रीलाल शुक्ल- कृत राग दरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कया के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है। निसंग और सोद्‌देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिन्दी का शायद यह पहला उपन्यास है।
फिर भी रागदरबारी व्यंग्य कथा नहीं है। इसका सम्बन्ध एक बड़े मंगर से कुक दूर बसे हुए गाँवों की जिन्दगी से है, जौ वर्षों की प्रगति और विकास के नारों कै बावजूद निहित स्वार्थों और अवांछनीय तत्वों के सामने घिसट रही है।
1968 में पहली बार प्रकाशित राग दरबारी के विचार और मूल्यांकन इस रचना कौ वस्तुपरकता के साथ देखना और परखना आवश्यक है। राग दरबारी पूरी तरह समझने के लिए पुस्तक के सभी पक्षों पर लेख बटोरे गये हैं, जो राग दरबारी का महत्त्व पुस्तक में संग्रहीत हैं। इस माध्यम से राग दरबारी समूचे परिवेश में अधिक पूर्णता के साथ समझा जा सकेगा।

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