कविता संग्रह >> प्रार्थना के शिल्प में नहीं प्रार्थना के शिल्प में नहींदेवीप्रसाद मिश्रा
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देवियो-देवताओ, हम आपसे जो कुछ कह रहे हैं प्रार्थना के शिल्प में नहीं !
इन्द्र, आप यहाँ से जायें तो पानी बरसे ! मरुत्, आप यहाँ से कूच करें तो हवा चले ! बृहस्पति, आप यहाँ से हटें तो बुद्धि कुछ काम करना शुरू करे ! अदिति, आप यहाँ से चलें तो कुछ ढंग की संततियाँ जन्म लें ! रुद्र, आप यहाँ से दफा हों तो कुछ क्रोध आना शुरू हो !
देवियो-देवताओ, हम आपसे जो कुछ कह रहे हैं प्रार्थना के शिल्प में नहीं ! -इसी पुस्तक से
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