आलोचना >> मीरा का जीवन मीरा का जीवनअरविंद सिंह तेजावत
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यह पुस्तक ब्राह्मण कथाकारों एवं परवर्ती आलोचकों द्वारा निर्मित मीरा की उस पारंपरिक छवि को तोडती है जो उसे केवल प्रेम-दीवानी कवयित्री की परिधि में सीमित कर देना चाहते थे
मीरा के जीवन में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए यह पुस्तक न केवल मीरा की एक प्रमाणिक जीवनी है वरन यह जीवनी, इतिहास दृष्टि से परिपूर्ण एवं महत्तपूर्ण शोध निष्कर्षों का समन्वित परिणाम है। यह पुस्तक बताती है कि मीरा के लिए कृष्ण भक्ति एक साधन थी न कि साध्य। कृष्ण भक्ति का सहारा लेकर मीरा ने मध्यकालीन सामंती समाज में व्याप्त सती-प्रथा जैसी तमाम सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया एवं स्त्री स्वतंत्रता के पक्ष में विद्रोह का स्वर बुलंद किया। यह पुस्तक ब्राह्मण कथाकारों एवं परवर्ती आलोचकों द्वारा निर्मित मीरा की उस पारंपरिक छवि को तोडती है जो उसे केवल प्रेम-दीवानी कवयित्री की परिधि में सीमित कर देना चाहते थे। निश्चय ही, मीरा को समग्र रूप से समझने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी।
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