जीवन कथाएँ >> मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम : जीवन और दर्शन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम : जीवन और दर्शनजयराम मिश्र
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यह ग्रन्थ वाल्मीकि और तुलसी की रामकथा-परंपरा की एक कड़ी बनेगा
श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही, पूर्ण ब्रह्म के अवतार भी हैं। महामानव और आदर्श मानव के रूप में वह सद्प्रेरणा के अजस्त्र स्रोत हैं। पर श्रीराम के अवतार स्वरुप को, मोक्ष को जीवन का परम पुरुषार्थ मानने वाला आस्तिक बुद्धिसंपन्न ईश्वरवादी ही ठीक-ठीक जानता-समझता है। श्रीराम भारतीय धर्म-संस्कृति के अनिवार्य और अपरिहार्य अंग हैं। इसीलिए ईश्वर के विभिन्न नामों में साधना की दृष्टि से रामनाम का महत्त्व सर्वोपरि है। आज के पंकिल कुहासे को नष्ट करने के लिये श्रीराम जैसे चन्दन चर्चित चरित्र में अवगाहन की महती आवश्यकता मानवता को है। वह श्रीराम, जो समस्त भारतीय साधना और ज्ञान-परम्परा के वागद्वार हैं, जिनका दृढचरित्र लोक-मर्यादा के कठोर अंकुश से अनुशासित है और जो जन-जन के मन को 'रस विशेष' से आप्लावित कर सकता है। इस पुस्तक के लेखक डॉ. जयराम मिश्र राम-साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान ही नहीं, राम-स्वरुप के ज्ञाता और उसमे रमे हुए संत हैं। हमें विश्वास है कि यह ग्रन्थ वाल्मीकि और तुलसी की रामकथा-परंपरा की एक कड़ी बनेगा।
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