आलोचना >> मध्यकालीन हिन्दी काव्य भाषा मध्यकालीन हिन्दी काव्य भाषारामस्वरूप चतुर्वेदी
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काव्यभाषा साहित्य चिंतन की नयी दिशा है। इस दृष्टि से यहाँ समूचे मध्यकालीन काव्य को एक साथ देखने-परखने का पहली बार प्रयास हुआ है
काव्यभाषा साहित्य चिंतन की नयी दिशा है। इस दृष्टि से यहाँ समूचे मध्यकालीन काव्य को एक साथ देखने-परखने का पहली बार प्रयास हुआ है। आधुनिक समीक्षा-प्रक्रिया और मध्यकालीन काव्य-धारा का यह संपर्क जितना जीवंत है उतना ही विचारोत्तेजक भी। संत कबीरदास से लेकर आचार्य भिखारीदास तक सभी प्रमुख भक्तिकाल और रीतिकाल के कवियों पर अलग-अलग अध्ययन है। भाषा, शिल्प, विधान के विविध पक्षों को इस कृति में एक सार्थक अन्विति मिलती है, जहाँ कविता बनने की प्रक्रिया ही समीक्षा के केन्द्र में है। अंत में कई परिशिष्ट अध्ययन को व्यावहारिक स्तर पर उपयोगी बनाते हैं।
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