भाषा एवं साहित्य >> हिन्दी प्रयोग हिन्दी प्रयोगरामचन्द्र वर्माबदरीनाथ कपूर
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जो लोग अच्छी हिंदी सीखना चाहते है उनके लिए यह पुस्तक बड़े काम की चीज है
किसी भाषा के मानक रूप के निर्धारण में अनेक शताब्दियों का योगदान रहता है। इसलिए उस भाषा के हर शुभचिंतक को मनमाने प्रयोग करने से बचाना चाहिए। मनमाने प्रयोतों से भाषा का स्वरुप बिगड़ता है और उच्चछ्रिन्ख्ल प्रयोगों से तो उसकी उपयोगिता तथा विश्वसनीयता भी घटती है। नदी की भांति भाषा का प्रवाह भी कुछ सीमाओं के भीतर ही भला लगता है। गत साठ वर्षो से वर्मा जी की यह अनोखी कृति 'हिंदी प्रयोत' विद्यार्थियों को अपनी भाषा का स्वरुप परम निर्मल और उज्जवल बनाने के लिए प्रेरित करती रही है। असंख्य विद्यार्थियों ने इस पुस्तक से लाभ उठाया है और अपनी भाषा को अशुद्धियों और त्रुटियों से बचाया है। जो लोग अच्छी हिंदी सीखना चाहते है उनके लिए यह पुस्तक बड़े काम की चीज है जाने-अनजाने होने वाली सैकड़ो प्रकार की भूलो से पीछा छुड़ाने में तथा भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने में वर्माजी की 'हिंदी प्रयोग/ आज भी निश्चित रूप से समर्थ है।
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