इतिहास और राजनीति >> भारतवर्ष का संपुर्ण इतिहास (प्राचीन काल से 1525) (खंड-3) भारतवर्ष का संपुर्ण इतिहास (प्राचीन काल से 1525) (खंड-3)श्रीनेत्र पाण्डेय
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यह ग्रंथ इतिहास रचना में एक नई शैली का सूत्रपात करता है
प्रस्तुत ग्रंथ की शैली बड़ी ही विवेचनात्मक है, परन्तु स्पष्टता तथा सुबोधता का आद्योपान्त ध्यान रखा गया है, संस्कृत, अरबी तथा फारसी के जिन महत्त्वपूर्ण शब्दों का इस ग्रंथ में प्रयोग किया गया है, उनकी व्याख्या कर उनके सारगर्भित अर्थ को समझा दिया गया है। इस प्रकार यह ग्रंथ इतिहास रचना में एक नई शैली का सूत्रपात करता है। तथ्यों के बाहुल्य से ग्रंथ बोझिल नहीं बनाया गया है। वरन् बड़ी ही सरल तथा सुबोध शैली में विश्लेषण करने का प्रयत्न किया गया है और तथ्यों के तारतम्य की निरन्तरता बनाये रखने का पूरा प्रयास किया गया है। लेखक ने यथास्थान अपने मौलिक विचारों को प्रकट करने का प्रयत्न भी किया है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि प्रथ को पढ़ने से विद्यार्थियों में गुलामी की भावना न उत्पन्न हो वरन् उनमें स्वाभिमान तथा जात्यभिमान की वृद्धि हो। निष्पक्ष निर्णय देने का लेखक ने सर्वत्र प्रयास किया है। यद्यपि यह ग्रंथ नई शैली में लिखा गया है। परन्तु अध्यापकों तथा विद्यार्थियों की परीक्षा संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति का ध्यान रखा गया है।
आशा है, यह ग्रंथ इतिहास की रचना तथा उसके अध्ययन के एक नये युग का सूत्रपात करेगा।
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