लोगों की राय

विविध >> बीमा प्रबन्धन एवं प्रशासन

बीमा प्रबन्धन एवं प्रशासन

एम एन मिश्र

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :632
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13055
आईएसबीएन :9788180315657

Like this Hindi book 0

यह पुस्तक वर्तमान अर्थव्यवस्था के विकास और विस्तुतीकरण में मील का पत्थर है

बीमा प्रबन्ध एवं प्रशासन 'बीमा व्यवसाय के सफल संचालन की एकमात्र पुस्तक है। इसे गहन शोध और विस्तृत अध्ययन के बाद लिखा गया है। बीमा व्यवसाय का प्रबन्धन एवं निर्देशन कैसे किया जाय, इस पुस्तक के अध्ययन से पता लग सकता है। इस पुस्तक में सात खण्ड हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों के संचालन में सहायक हैं। बीमा परिचय, प्रबन्ध एवं प्रशासन को प्रथम खण्ड में दिया गया है, जिसमें बीमा की परिभाषा एवं स्वभाव, बीमा का विकास एवं संगठन, बीमा प्रसंविदा, प्रबन्ध, प्रशासन एवं संगठन, जीवन बीमा निगम संगठन का रूप, सामान्य बीमा निगम, जीवन बीमा प्रसंविदा, सामुद्रिक बीमा प्रसंविदा और अग्नि बीमा परिचय एवं प्रसंविदा का वर्णन है।
द्वितीय खण्ड में कार्यालय संगठन और प्रबन्ध की विवेचना है, जिसमें कार्यालय अभिन्यास एवं कार्य दशाएँ, कार्यालय फर्नीचर, उपकरण एवं मशीनें, कार्यालय पद्धति, कार्यालय संगठन और कार्यालय प्रबन्ध का वर्णन है। कायिक प्रबन्ध का विश्लेषण तृतीय खण्ड में है जिसमें कार्यालय कार्यकर्त्ता प्रबन्धन, विक्रय संगठन एवं प्रबन्ध, अभिकर्ता की नियुक्ति, अभिकर्त्ता का प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण एवं प्रेरणा और अभिकर्ता का नियन्त्रण बताया गया है। चतुर्थ खण्ड विपणन का है जिसमें विक्रय-कार्यकर्त्ताओं का संगठन, कार्यक्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के गुण, बीमा विक्रय विधि, प्रचार एवं तर्क, आक्षेपों का उत्तर, बीमा जब्‍ती नये व्यापार का अभिगोपन, बीमा कराने की विधि एवं चुनाव, बीमापत्र की शर्तें, नवकरण विधियों के प्रबन्ध का वर्णन है। पंचम खण्ड बीमापत्रधारियों की सेवा का है जिसमें बीमापत्रधारियों की सेवा, अध्यर्थन का भुगतान का वर्णन है। वित्तीय प्रबन्ध का वर्णन षष्ठम खण्ड में है जिसमें प्रव्याजि निर्धारण, कोष का प्रबन्ध, मूल्यांकन, संचय, कोष का विनियोग, लागत नियन्त्रण, अंकेक्षण एवं परीक्षण का विवरण है। सप्तम खण्ड में बीमा अधिनियम एवं प्रसंविदा, जैसे-बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा अधिनियम, 1956, सामुद्रिक बीमा अधिनियम, 1963, सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, 2००० का विशद विश्लेषण है।
यह पुस्तक वर्तमान अर्थव्यवस्था के विकास और विस्तुतीकरण में मील का पत्थर है। यह पुस्तक आनेवाले समय में बीमा की विभित्र समस्याओं के समाधान की गीता है जिसके विभिन्न सिद्धान्तों का उपयोग करके कठिन-से-कठिन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book