कहानी संग्रह >> आनन्द कारज आनन्द कारजबलवंत सिंह
|
0 |
हमारे आस-पास की घटनाओं का बयान करती यह कहानियां समकालिक जीवन-छवियों से जोड़ने का एक सफल प्रयास करती हैं
बलवंत सिंह सरीखे अनुभवी कथाकार से ही मुमकिन था कि किसी बहुत पुरानी कहानी को भी नये-नवेले, अनूठे और समसामयिक अंदाज में पाठकों के सामने ले आयें।
कहानी ‘दंड’ में बिना कहे प्रेमिका के दर्द को समझनेवाला प्रेमी हो या प्रेमिका के लिखे आखिरी ख़त को खोलकर न देखनेवाला प्रेमी, जिसने दृढनिश्चय किया था कि वह अपनी प्रेम-कहानी को अंत तक कभी नहीं पहुँचाने देगा-जीवनपर्यन्त। दोनों ही कहानियों में निहित प्रेम की भिन्न परिभाषाएं नितांत एकांत पल में हद के भीतर इस प्रकार के प्रेमी को पाने की आकांक्षा जाग्रत करती हैं। इंसानी रिश्तो की जिस बारीकियों को बलवंत जी ने भाषा की सरलता में उतार दिया है वह अदभुत है।
आज की इस भागती-दौड़ती जिंदगी में फुर्सत के इतने निजी पल असंभव से लगते हैं। लेकिन बलवंत सिंह की कहानियां आशा के उस दीप की तरह हैं जो अपनी बेहद सीढ़ी और सरल भाषा में हमें बताती हैं कि जीवन की असली खुशियाँ उन छोटे-छोटे पलों में ही छिपी हैं जो रोज हमारे आस-पास से गुजरती रहती हैं। बलवंत जी की कहानियों के पात्र वही पुराने हैं, पर उन्हें देखने, आंकने टांकने का अंदाज बिलकुल नया है।
हमारे आस-पास की घटनाओं का बयान करती यह कहानियां समकालिक जीवन-छवियों से जोड़ने का एक सफल प्रयास करती हैं।
|