आलोचना >> भाषा और समाज भाषा और समाजरामविलास शर्मा
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भाषा और समाज सरीखे अत्यन्त गहन विषय पर डॉ. रामविलास शर्मा का यह एक महत्त्वपूर्ण मौलिक ग्रंथ है। इसमें सामाजिक विकास के संदर्भ में भाषा के विकास का अध्ययन करते हुए भाषाशास्त्र और समाजशास्त्र की अनेक मान्यताओं का गहन विद्वत्ता के साथ खंडन-मंडन किया गया है। सैद्धांतिक विवेचन के अलावा इसमें भाषा-संबंधी अनेक व्यावहारिक समस्याओं का भी विवेचन है। उदाहरण के लिए, भारत की राजभाषा और राष्ट्रभाषा की समस्या, अहिंदीभाषी प्रदेशों में असंतोष के कारण, क्या भारत की सभी भाषाएँ राजभाषा बनेंगी ? क्या अंग्रेजी विश्व भाषा है और उसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता ? आदि प्रश्नों पर भी इसमें प्रकाश डाला गया है।
यह पुस्तक न केवल भाषाविज्ञान का शास्त्रीय अध्ययन करनेवालों के लिए, बल्कि उन पाठकों के लिए भी उपयोगी है, जो इन समस्याओं में गहरी दिलचस्पी रखते हैं।
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