नई पुस्तकें >> उत्तरआधुनिक अवधारणाएँ उत्तरआधुनिक अवधारणाएँश्रीप्रकाश मिश्र
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अक्सर कहा जाता है कि कल्पनाशील लेखन करने वाले हिंदी के रचनाकार वस्तुगत ढंग से गंभीर लेखन नहीं कर पाते। यदि करते भी हैं तो विवाद वाले मुद्दों पर स्पष्ट स्टैण्ड नहीं लेते। इस धारणा को ख़ारिज करती है श्रीप्रकाश मिश्र की यह पुस्तक उत्तराधुनिक अवधारणाए।
श्रीप्रकाश मिश्र हमारे समय के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक हैं। इस पुस्तक में उत्तरआधुनिकता, उत्तर साम्यवाद, उत्तर प्राच्यवाद, उत्तर उपनिवेशवाद, स्त्रीवाद, विचारधारा, निर्वचन, भूमंडलीकरण, राष्ट्रवाद, जनतंत्र, संस्कृति, न्याय, सामाजिक अभियंत्रण, लोकलुभावनवाद आदि पर अच्छी तरह से विवेचित लेख हैं, व्याख्यान हैं। वे एक स्पष्ट स्टैंड लेकर चलते हैं और लेखक की स्पष्टवादिता दर्ज करते हैं। उम्मीद है यह पुस्तक पाठकों के ज्ञान और चिंतन को समृद्ध करेगी।
श्रीप्रकाश मिश्र हमारे समय के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक हैं। इस पुस्तक में उत्तरआधुनिकता, उत्तर साम्यवाद, उत्तर प्राच्यवाद, उत्तर उपनिवेशवाद, स्त्रीवाद, विचारधारा, निर्वचन, भूमंडलीकरण, राष्ट्रवाद, जनतंत्र, संस्कृति, न्याय, सामाजिक अभियंत्रण, लोकलुभावनवाद आदि पर अच्छी तरह से विवेचित लेख हैं, व्याख्यान हैं। वे एक स्पष्ट स्टैंड लेकर चलते हैं और लेखक की स्पष्टवादिता दर्ज करते हैं। उम्मीद है यह पुस्तक पाठकों के ज्ञान और चिंतन को समृद्ध करेगी।
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