नई पुस्तकें >> भारतीय वाल्तेयर एवं मार्क्स बी. आर. अम्बेडकर भारतीय वाल्तेयर एवं मार्क्स बी. आर. अम्बेडकरडॉ. पी.एन. सिंह
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
डॉ. अम्बेडकर में वाल्तेयर जैसी मेघा, आलोचनात्मक विवेक और साहस था और उन्होंने भी हिन्दू समाज की मानसिक जड़ता को तोड़ने के लिए अद्भुत सहस का परिचय दिया। अम्बेडकर ने जड़ता के विरुद्ध संघर्ष किया और उनके नाम से जुड़े राजनीतिक आन्दोलन, सत्ता-केन्द्रित होते हुए भी, प्रायः सभी सामाजिक संघर्षो से कमोबेश जुड़े हुए हैं। मार्क्स, गाँधी और बाबा साहब तीनों ही अपने-अपने ढंग से मनुष्य की अभावग्रस्त स्थितियों से मुक्ति चाहते हैं। यह मुक्ति काल्पनिक नहीं, वास्तविक है। मार्क्स आर्थिक मुक्ति पर बल देते है, अम्बेडकर साहब सामाजिक मुक्ति पर और गाँधी सत्य और अहिंसा के माध्यम से अपनायी गयी वैयक्तिक मुक्ति पर तीनों के अलग-अलग विशेष क्षेत्र हैं। लेकिन मानव-जीवन तो एक ही है। ये तीनो और अम्बेडकर के सार्थक निष्कर्षों को सावधानी-पूर्वक लागू करने में ही मानव समाज का हित है।
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