लोगों की राय

लेख-निबंध >> महात्मा गाँधी साहित्यकारों की दृष्टि में

महात्मा गाँधी साहित्यकारों की दृष्टि में

आरसु

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 12268
आईएसबीएन :9788177212501

Like this Hindi book 0

इतिहासकार, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, आध्यात्मिक आचार्य तथा समाज-शास्त्रियों ने गांधीजी का मूल्यांकन अपने-अपने ढंग से किया है। भले ही गांधीजी कारयित्री प्रतिभा के उज्ज्वल साहित्यकार नहीं थे, तथापि उस श्रेणी के कई श्रेष्ठ साहित्यकारों ने गांधीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है। समकालीन साहित्यकारों ने एक युगस्रष्टा के रूप में उन्हें अंगीकार किया था। टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ पुकारा था। गांधीजी ने टैगोर को ‘गुरुदेव’ माना था। वह लेखक-राजनीतिज्ञ के परस्पर आदर का युग था।

राष्ट्रीय आंदोलन के युग के हिंदी साहित्यकारों की गांधी-स्मृतियाँ इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं। वह समता-ममता का युग था। आदर्श का आलोक उस युग के साहित्य की खूबी थी। कई साहित्यकार गांधीजी के संपर्क में आ सके थे। इसलिए उनकी रचनाओं में युग बोल उठा था। वे मानवीय मूल्यों के संरक्षक बन सके थे। कई प्रकार के फूल इधर-उधर बिखरे पड़े हों तो उनका महत्व हम समझ नहीं पाएँगे। एक साधक आकर एक धागे में उन फूलों को कलात्मक ढंग से पिरो देता है तो हमें एक माला मिलती है। यह पुस्तक 20वीं सदी के कई महान् साहित्यकारों की गांधी-स्मृतियों का पुष्पहार बन गई है।

विश्व भर के शांति प्रेमी आज आशान्वित होकर गांधी-मार्ग की ओर देख रहे हैं। इसलिए उनके बारे में नई पीढ़ी को अनूठी सामग्रियों की जरूरत है! आशा है, यह पुस्तक सबके लिए एक प्रकाश-स्तंभ बनेगी।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book