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हिंदी बाल साहित्य का इतिहास

प्रकाश मनु

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :556
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12235
आईएसबीएन :9789352666713

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हिंदी बाल साहित्य के इस नवोन्मेष और उन्नयन-काल में उसके इतिहास लेखन की जरूरत भी बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी। बाल साहित्य की अलग-अलग विधाओं के इतिहासपरक अध्ययन की किंचित् कोशिशें भी हुईं, पर समूचे हिंदी बाल साहित्य के इतिहास लेखन की दिशा में कोई गंभीर पहल अब तक नहीं हुई थी। पिछले कोई सवा सौ वर्षों में लिखे गए बाल साहित्य की अलग-अलग विधाओं की हजारों दुष्प्राप्य पुस्तकों को इकट्ठा करके, उनका काल-क्रमानुसार अध्ययन, यह काम किसी दुर्गम पहाड़ की चढ़ाई से कम न था। पर बरसों तक ‘नंदन’ पत्रिका के संपादन से जुड़े रहे, बच्चों के प्रिय लेखक और सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रकाश मनु ने इस गुरुतर कार्य का जिम्मा उठाया। कोई दो-ढाई दशकों से वे इस काम में जुटे थे और उनके निरंतर अध्यवसाय और निराली धुन का ही नतीजा है कि हिंदी बाल साहित्य का पहला इतिहास अब सुधी पाठकों और आलोचकों के सामने है।

यह बहुत प्रसन्नता और संतोष की बात है कि जिस हिंदी बाल साहित्य के इतिहास-लेखन के लिए वे इतने लंबे समय से निरंतर खट रहे थे, उसकी पूर्णाहुति ऐसे सुखद काल में हुई, जब उसकी दमदार उपस्थिति पर कोई सवाल नहीं उठाता। बाल साहित्य की यह विकास-यात्रा बड़े-बड़े बीहड़ों से निकलकर आई और अब एक प्रसन्न उजास हमें चारों ओर दिखाई देता है। कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक समेत अनेक विधाओं में निरंतर लिखे जा रहे बाल साहित्य की एक विकासकामी, सुदीर्घ और गरिमामयी परंपरा रही है, जिसकी हिंदी साहित्य की महाधारा में एक अलग पहचान रेखांकित की जा सकती है, यह प्रकाश मनु के इस बृहत् इतिहास-ग्रंथ को पढ़कर बहुत स्पष्टता से सामने आता है। फिर इस इतिहास की शैली भी बहुत सर्जनात्मक और रसपूर्ण है, जो पाठकों से निरंतर एक सार्थक संवाद करती चलती है।

साहित्य अकादेमी के पहले बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित प्रकाश मनु ने हिंदी बाल साहित्य की अलग-अलग विधाओं की उपलधियों को सहेजते हुए बाल साहित्य का यह पहला इतिहास लिखकर खुद में एक बड़ा और ऐतिहासिक महत्व का काम किया है। आशा है, हिंदी के साहित्यिक और प्रबुद्ध समालोचक ही नहीं, आम पाठक भी इसका उत्साह के साथ स्वागत करेंगे।

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Dr Ghanshyam Singh Thakar

अति महत्वपूर्ण पुस्तक. एकबार जरूर पढ़ूँगा.