लोगों की राय

नई पुस्तकें >> शब्दों का मण्डल

शब्दों का मण्डल

रेनाता चेकाल्स्का

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :275
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12212
आईएसबीएन :9789387462632

Like this Hindi book 0

अशोक वाजपेयी की कविताओं पर गंभीर विश्लेषण

यह पुस्तक हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ लेखक अशोक वाजपेयी के कृतित्व की प्रमुख काव्यात्मक स्पेसों का भाष्यपरक (हर्मेन्यूटिक) विष्लेषण है। पुस्तक के चार अध्याय उन महत्त्वपूर्ण नृतात्त्विक प्रश्नों पर केन्द्रित हैं जो इस कवि के सन्दर्भ में साधनभूत हैं, इस कवि के सन्दर्भ में विश्व के साथ एकत्व के सिद्धान्त की खोज की प्रक्रिया में भाषा को अस्तित्व के एक रूप और विस्तार में बदल देता है।

लेखिका ने दर्शाया है कि किस तरह वाजपेयी भारतीय और पाश्चात्य सांस्कृतिक परम्पराओं का सहयोजन करते हुए अपनी कविता को ‘‘सभ्यताओं के बीच’’ स्थित करते हैं, जहाँ वह काव्यात्मक सम्प्रेषण के मौलिक और आकर्षक पैटर्नों का रूप लेते विमर्ष का आत्मनिर्भर विमर्ष बनती है। यह पुस्तक आधुनिक वैश्वीकृत दुनिया में पूरब और पश्चिम की सांस्कृतिक मुठभेड़ के एक महत्त्वपूर्ण प्रकरण को चित्रित करती है। मूर्धन्य आलोचक मदन सोनी द्वारा किया गया पुस्तक का हिन्दी अनुवाद मूलतः पोलिश भाषा में लिखी गयी पुस्तक के (स्वयं रेनाता चेकाल्स्का द्वारा किये गये) अँग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book