लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> शिवपुराण

शिवपुराण

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1190
आईएसबीएन :81-293-0099-0

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

100 पाठक हैं

भगवान शिव की महिमा का वर्णन...


अंगन्यास और करन्यासका प्रयोग इस प्रकार समझना चाहिये। ॐ ॐ अङ्गुष्ठाभ्यां नमः। ॐ नं तर्जनीभ्यां नमः। ॐ मं मध्यमाभ्यां नमः। ॐ शिं अनामिकाभ्यां नमः। ॐ वां कनिष्ठिकाभ्यां नमः। ॐ यं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः। इति करन्यासः।

ॐ ॐ हृदयाय नमः। ॐ नं शिरसे स्वाहा। ॐ मं शिखायै वषट्। ॐ शिं कवचाय हुम्। ॐ वां नेत्रत्रयाय वौषट्। ॐ यं अस्त्राय फट्। इति हृदयादिषडङ्गन्यास:

यहाँ करन्यास और हृदयादिषडङ्गन्यासक छ:-छ: वाक्य दिये गये हैं। इनमें करन्यास के प्रथम वाक्य को पढ़कर दोनों तर्जनी अंगुलियों से अंगुष्ठों का स्पर्श करना चाहिये। शेष वाक्यों को पढ़कर अंगुष्ठों से तर्जनी आदि अंगुलियों का स्पर्श करना चाहिये। इसी प्रकार अंगन्यास में भी दाहिने हाथ से हृदयादि अंगों का स्पर्श करने की विधि है। केवल कवचन्यास में दाहिने हाथ से बायीं भुजा और बायें हाथ से दायीं भुजा का स्पर्श करना चाहिये। 'अस्त्राय फट्' इस अन्तिम वाक्य को पढ़ते हुए दाहिने हाथ को सिर के ऊपर से ले आकर बायीं हथेली पर ताली बजानी चाहिये।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book