गीता प्रेस, गोरखपुर >> भगवच्चर्चा भगवच्चर्चाहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवच्चर्चा...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नम्र निवेदन
भाईजी (श्रीहनुमानप्रसाद पोद्दार) के लेखोंका का एक और सुन्दर चयन
भववच्चर्या (भाग 5) के नामसे जनताकी सेवामें प्रस्तुत किया जा रहा है। इस
संग्रह में कतिपय स्फुट विषयों के साथ-साथ कृष्णभक्तों के लिय अतिशय
उपादेय ठोस सामग्री का समावेश हुआ है।
इसमें युगल सरकारकी उपासना और ध्यान, श्री श्रीभगवान्नाम, माखनचोरी का रहस्य, चीरहण-रहस्य रासलीला की महिमा, वज्रसुन्दरियों के भगवान् नादब्रद्र-मोहन की मुरली, श्रीकृष्ण की नित्य प्रातः क्रिया अद्भुतकर्मा श्रीकृष्ण, नारदकृत राधास्तवन, श्रीराधिकाजीका उद्धवको उपदेश, श्रीराधाजीके प्रति भगवान् श्रीकृष्ण का तत्त्वोपदेश, श्रीकृष्ण लीला के अन्ध-अनुकरण से हानि, काली-कृष्ण, भक्तिका स्वरूप, प्रेमभक्तिमें भगवान और भक्त में भगवान् और सम्बन्ध आदि ऐसे परमोपयोगी एवं रहस्यपूर्ण विषयोंपर मार्मिक प्रकाश डाला गया है।
कि जिससे भगवान् श्रीकृष्ण के उपासकोको अपने मार्ग में बड़ी सहायता मिलेगी। साथ-ही-साथ ईश्वर-तत्त्व एवं परम तत्त्व के दो अन्य उपास्य स्वरूपों-भगवान् शिव एवं भगवती शक्ति का भी बड़ी ही सुन्दर एवं शास्त्रनुमोदित शैली से विवेचन किया गया है। इस प्रकार पिछले संग्रहों की भाँति वर्तमान संग्रह भी जिज्ञासुओंके लिये परमोपयोगी बन गया है। आशा है, इसका भी धर्मप्राण जनता उतने ही चाव एवं आदर के साथ स्वागत करेगी।
इसमें युगल सरकारकी उपासना और ध्यान, श्री श्रीभगवान्नाम, माखनचोरी का रहस्य, चीरहण-रहस्य रासलीला की महिमा, वज्रसुन्दरियों के भगवान् नादब्रद्र-मोहन की मुरली, श्रीकृष्ण की नित्य प्रातः क्रिया अद्भुतकर्मा श्रीकृष्ण, नारदकृत राधास्तवन, श्रीराधिकाजीका उद्धवको उपदेश, श्रीराधाजीके प्रति भगवान् श्रीकृष्ण का तत्त्वोपदेश, श्रीकृष्ण लीला के अन्ध-अनुकरण से हानि, काली-कृष्ण, भक्तिका स्वरूप, प्रेमभक्तिमें भगवान और भक्त में भगवान् और सम्बन्ध आदि ऐसे परमोपयोगी एवं रहस्यपूर्ण विषयोंपर मार्मिक प्रकाश डाला गया है।
कि जिससे भगवान् श्रीकृष्ण के उपासकोको अपने मार्ग में बड़ी सहायता मिलेगी। साथ-ही-साथ ईश्वर-तत्त्व एवं परम तत्त्व के दो अन्य उपास्य स्वरूपों-भगवान् शिव एवं भगवती शक्ति का भी बड़ी ही सुन्दर एवं शास्त्रनुमोदित शैली से विवेचन किया गया है। इस प्रकार पिछले संग्रहों की भाँति वर्तमान संग्रह भी जिज्ञासुओंके लिये परमोपयोगी बन गया है। आशा है, इसका भी धर्मप्राण जनता उतने ही चाव एवं आदर के साथ स्वागत करेगी।
विनीत
चिम्मनलाल गोस्वामी
चिम्मनलाल गोस्वामी
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विनामूल्य पूर्वावलोकन
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