वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत लघुपाराशरी सिद्धांतएस जी खोत
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5.17 शनि-राहु में इन्दिरा जी की मृत्यु
विश्लेषण-
(i) लग्नेश चन्द्रमा 5 मंगल का शनि से राशि परिवर्तन शनि को शुभता दे रहा है।
(ii) पापी ग्रह केन्द्राधिपति होने पर पापी नहीं रहते। चन्द्र लग्नेश व जन्म सप्तमेश शनि पापी नहीं है।
(iii) जन्म कुंडली का चतुर्थेश शुक्र षष्ठ भाव में राहु से युक्त है तो चन्द्र कुंडली का सुखेश मंगल अष्टमस्थ है।
(iv) दशानाथ शनि सप्तमेश-अष्टमेश होने से मारकेश बना है। शनि का लग्न व लग्नेश से सम्बन्ध इसे योगकारक भी बना रहा है।
(v) त्रिषडाय स्वामियों में एकादशेश को सर्वाधिक पापी माना जाता है। भुक्तिनाथ राहु की युति एकादशेश शुक्र के साथ षष्ठ भाव में है।
(vi) राहु का लग्न व लग्नेश से दुःस्थान अर्थात् 6,12 में बैठना तथा अष्टमेश का लग्नस्थ होना शनि-राहु को मारक बनाने वाला बना।
टिप्पणी-
शुभ स्थान में बैठा राहु शुभ फल तथा दुःस्थान में बैठा राहु अशुभ फल दिया करता है।
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