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वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत

लघुपाराशरी सिद्धांत

एस जी खोत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :630
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11250
आईएसबीएन :8120821351

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4.9 आयु बढ़ाने वाले योग


(i) लग्न-लग्नेश तथा चन्द्रमा व चन्द्र राशीश का बली होना आयुष्य की वृद्धि करता है।
(ii) लग्न, लग्नेश, चन्द्रमा तथा चन्द्र राशीश का शुभ ग्रहों से दृष्टि-युति सम्बन्ध हो या
(ii) लग्न व चन्द्रमा से 3,6,11, भाव में पापग्रह की स्थिति।
(iv) लग्नेश व अष्टमेश की युति हो तथा लग्नेश उच्चस्थ, मूल त्रिकोण राशि या अपनी राशि में अथवा मित्रराशि में स्थित हो तो आयु बढ़ती है।
(v) शुभ ग्रह केन्द्र व त्रिकोण भाव में तथा पाप ग्रह त्रिषडाय भाव में सें।
(vi) गुरु, शुक्र तथा लग्नेश केन्द्र या त्रिकोण में हों।
(vii) नैसर्गिक व तात्कालिक (शुभ भावों के स्वामी) शुभ ग्रह यदि बलवान हों तो निश्चय ही आयुष्य की वृद्धि होती है।
(vill) विद्वानों का मत है कि लग्न, लग्नेश, चन्द्र, चन्द्र राशीशे, गुरु तथा शुक्र पर जितना अधिक शुभ प्रभाव होगा, व्यक्ति की आयु उतनी अधिक होगी।

 

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    अनुक्रम

  1. अपनी बात
  2. अध्याय-1 : संज्ञा पाराशरी

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