गीता प्रेस, गोरखपुर >> समता अमृत और विषमता विष समता अमृत और विषमता विषजयदयाल गोयन्दका
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इसमें वाल्मीकीय रामायण के अनुसार श्रीराम,श्रीभरत आदि के जीवन-चरित्र तथा स्त्री-शिक्षा और गो-सेवा विषयक लेख भी दिये गये है ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नम्र निवेदन
‘कल्याण’ में मेरे जो लेख प्रकाशित होते हैं, वे कई
एक प्रेमी
भाइयों के आग्रह से ‘तत्त्व-चिन्तामणि’ नाम से अलग
पुस्तकाकाररूप में निकाले जाते हैं। इसके अब तक छः भाग प्रकाशित हो चुके
हैं। यह इसका सातवाँ भाग है। इस सातवें भाग में भी
‘कल्याण’
में प्रकाशित पहले कई वर्षों के मेरे लेखों का ही संग्रह है। लेख संशोधन
करके ही संगृहीत किये गये हैं, फिर भी दृष्टिदोष से कोई भूल रह गयी हो,
उसके लिए पाठकगण क्षमा करेंगे।
‘तत्त्व-चिन्तामणि’ के इन सातों भागों में ‘कल्याण’ के आरम्भ से (प्रथम वर्ष से लेकर) 23 वें वर्षतक प्रायः सभी लेख आ चुके हैं। शास्त्रों अवलोकन तथा सत्पुरुषों के संग करने से आत्मकल्याणकी जो बातें मेरी समझ में आयी हैं, वही सब बाते इन लेखों में बतलायी गयी हैं। मेरा विश्वास है कि जो कोई भी मनुष्य इन बातों को काम में लायेंगे, उन्हें अवश्य लाभ हो सकता है, क्योंकि ये सब बातें अधिकांश में साक्षात् भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख से कथित गीता तथा ऋषि-मुनिप्रणीत सत्-शास्त्रों के आधार पर लिखी गयी हैं। अतएव इन लेखों से सभी मनुष्य लाभ उठा सकते हैं। इनमें से बहुत-सी बातें तो ऐसी सुगम हैं कि जिन्हें बिना पढ़े-लिखे हुए साधारण पुरुष और स्त्री-बालक भी काममें लाकर लाभ उठा सकते हैं क्योंकि मनुष्य का अपना जीवन किस प्रकार बिताना एवं किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये, यह सब बातें भी इनमें बतायी गयी हैं।
‘तत्त्व-चिन्तामणि’ के इन सातों भागों में ‘कल्याण’ के आरम्भ से (प्रथम वर्ष से लेकर) 23 वें वर्षतक प्रायः सभी लेख आ चुके हैं। शास्त्रों अवलोकन तथा सत्पुरुषों के संग करने से आत्मकल्याणकी जो बातें मेरी समझ में आयी हैं, वही सब बाते इन लेखों में बतलायी गयी हैं। मेरा विश्वास है कि जो कोई भी मनुष्य इन बातों को काम में लायेंगे, उन्हें अवश्य लाभ हो सकता है, क्योंकि ये सब बातें अधिकांश में साक्षात् भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख से कथित गीता तथा ऋषि-मुनिप्रणीत सत्-शास्त्रों के आधार पर लिखी गयी हैं। अतएव इन लेखों से सभी मनुष्य लाभ उठा सकते हैं। इनमें से बहुत-सी बातें तो ऐसी सुगम हैं कि जिन्हें बिना पढ़े-लिखे हुए साधारण पुरुष और स्त्री-बालक भी काममें लाकर लाभ उठा सकते हैं क्योंकि मनुष्य का अपना जीवन किस प्रकार बिताना एवं किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये, यह सब बातें भी इनमें बतायी गयी हैं।
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