जैन साहित्य >> दौलत-विलास (भक्तिपद-संग्रह) दौलत-विलास (भक्तिपद-संग्रह)वीरसागर जैन
|
0 |
दौलत-विलास' मध्यकालीन हिन्दी जैन साहित्य की एक ऐसी मनोरम रचना है जो भक्ति, नीति, अध्यात्म, सदाचरण आदि अनेक उच्च जीवन-सन्देशों की अत्यन्त प्रभावपूर्ण प्रस्तुति करती है....
दौलत-विलास' मध्यकालीन हिन्दी जैन साहित्य की एक ऐसी मनोरम रचना है जो भक्ति, नीति, अध्यात्म, सदाचरण आदि अनेक उच्च जीवन-सन्देशों की अत्यन्त प्रभावपूर्ण प्रस्तुति के कारण समूची विलास-संज्ञक साहित्य-परम्परा में अपना अनूठा महत्त्व रखती है. इसके पद भाव एवं शिल्प दोनों दृष्टियों से हिन्दी के विशाल पद-साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं. विक्रम की 19वीं शती में गहन आत्मिक अनुभूति की ऐसी सहज व सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है जो अन्यत्र असम्भव नहीं तो दुर्लभ अवश्य है.
|