जैन साहित्य >> पज्जुण्णचरिउ (प्रद्युम्नचरित) (अपभ्रंश, हिन्दी) पज्जुण्णचरिउ (प्रद्युम्नचरित) (अपभ्रंश, हिन्दी)महाकवि सिंह
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तेरहवीं शती की उत्तर-मध्यकालीन काव्य-विद्या में महाकवि सिंह कृत अपभ्रंश महाकाव्य 'पज्जुण्णचरिउ' (प्रद्युम्नचरित) भारतीय भाषा-साहित्य की एक महान कृति है.
तेरहवीं शती की उत्तर-मध्यकालीन काव्य-विद्या में महाकवि सिंह कृत अपभ्रंश महाकाव्य 'पज्जुण्णचरिउ' (प्रद्युम्नचरित) भारतीय भाषा-साहित्य की एक महान कृति है. इनमें शलाकापुरुष श्रीकृष्ण और उनके पुत्र प्रद्युम्नकुमार के चरित का विस्तार से वर्णन किया गया है. केवल भाषा एवं साहित्य की दृष्टि से ही नहीं अपितु तत्कालीन भारतीय साहित्य, समाज एवं संस्कृति के अध्ययन के लिए भी यह कृति बहुत प्रामाणिक और उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करती है.
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