गीता प्रेस, गोरखपुर >> प्रेमी भक्त उद्धव प्रेमी भक्त उद्धवशान्तनु बिहारी
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प्रस्तुत पुस्तक में भगवान् के भक्त उद्धव का चरित्र चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
निवेदन
भक्त के हृदय में भगवान् बसते हैं, भगवान् के हृदय में भक्त। यह एक ऐसा
योग है जिसमें वियोग होता ही नहीं, जिसमें भक्त और भगवान् एकान्त मिलन
निरन्तर होता ही रहता है, उद्धव ऐसे ही प्रेमी भक्त हैं और स्वयं भगवान्
ने उन्हे ‘प्रियतम’ कहकर सम्बोधित किया है।
उन्हीं महाभागवत परम प्रेमी उद्धव का चरित्र आपके हाथों में है। आपके सुपरिचित लेखक पण्डित श्रीशान्तनु विहारीजी द्विवेदी ने पूर्ण प्रीति के साथ इसका प्रणयन किया है। अधार तो मुख्यतः श्रीमद्भागवत तथा गर्ग संहिता का है ही परन्तु उन्होंने अपनी सुन्दर एवं भावपूर्ण शैली में चरित्र का जो विन्यास किया है वह पाठकों को विशेष प्रीतिकर होगा ऐसा मेरा विश्वास है। पुस्तक के अन्तिम भाग में उद्धव के प्रति भगवान् श्रीकृष्ण के उपदेश संकलित हैं जिसके कारण पुस्तक की उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को भगवत्प्रेमी की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होगी।
उन्हीं महाभागवत परम प्रेमी उद्धव का चरित्र आपके हाथों में है। आपके सुपरिचित लेखक पण्डित श्रीशान्तनु विहारीजी द्विवेदी ने पूर्ण प्रीति के साथ इसका प्रणयन किया है। अधार तो मुख्यतः श्रीमद्भागवत तथा गर्ग संहिता का है ही परन्तु उन्होंने अपनी सुन्दर एवं भावपूर्ण शैली में चरित्र का जो विन्यास किया है वह पाठकों को विशेष प्रीतिकर होगा ऐसा मेरा विश्वास है। पुस्तक के अन्तिम भाग में उद्धव के प्रति भगवान् श्रीकृष्ण के उपदेश संकलित हैं जिसके कारण पुस्तक की उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को भगवत्प्रेमी की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होगी।
विनीत
सम्पादक
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