उपन्यास >> सिरजनहार सिरजनहारउषा किरण ख़ान
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विद्यापति के जीवन और साहित्य को 'सिरजनहार' उपन्यास में समस्त विलक्षणताओं के साथ प्रस्तुत किया है.
मैथिली के महाकवि विद्यापति का जीवन साहित्य-रसिकों की जिज्ञासा का केन्द्र रहा है. वरिष्ठ कथाकार उषाकिरण खान ने विद्यापति के जीवन और साहित्य को 'सिरजनहार' उपन्यास में समस्त विलक्षणताओं के साथ प्रस्तुत किया है. 'देसिल बयना सब जन मिठ्ठा' की धारणा पर विश्वास करने वाले विद्यापति जन्मना शिव-भक्त थे. अनेक प्रकार से सम्मानित सुप्रतिष्ठित परिवार में जन्म लेने वाले विद्यापति ने अपने अध्ययन से कुलपरम्परा को आगे बढ़ाया. उषाकिरण खान ने विद्यापति की सामाजिक चेतना का विकास रेखांकित करते हुए उनके सर्जनात्मक व्यक्तित्व की छवियाँ शब्दांकित की हैं.
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