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हास्य-व्यंग्य >> प्रत्यंचा

प्रत्यंचा

ज्ञान चतुर्वेदी

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10459
आईएसबीएन :9788126320608

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ज्ञान चतुर्वेदी ने कमोबेश एक दशक से भी अधिक के, अपने स्तम्भ-लेखन में समझ, सामर्थ्य और शिल्प की ऐसी 'त्रयी' गढ़ ली है, जिसके चलते उन्होंने...

ज्ञान चतुर्वेदी ने कमोबेश एक दशक से भी अधिक के, अपने स्तम्भ-लेखन में समझ, सामर्थ्य और शिल्प की ऐसी 'त्रयी' गढ़ ली है, जिसके चलते उन्होंने व्यंग्य-लेखन की एक अत्यन्त परिष्कृत-प्रविधि को अपना आश्रय बना लिया है. यही वह रचनात्मक युक्ति है, जिसके कारण रचना अपने आभ्यन्तर में एक वृहद् गल्प-सम्भावना के विस्तृत मानचित्र को गढ़ने में उत्तीर्ण हो जाती है. ज्ञान साहित्य के इतिहास के फटे-पुराने मस्टर में अपना नाम दर्ज़ कराने के लिए होती आ रही धक्का-मुक्की से नितान्त दूर, वक्त की कोरी दीवार पर बहुत परिश्रमसाध्य युक्ति के ज़रिये, व्यंग्य की कलम से, बहुत साफ़ और सुपाठ्य हर्फों में समकालीन-यथार्थ की एक मुकम्मल इबारत लिख रहे है.

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