गीता प्रेस, गोरखपुर >> भगवत्प्रेम प्राप्ति के उपाय भगवत्प्रेम प्राप्ति के उपायजयदयाल गोयन्दका
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श्रीजयदयाल गोयन्दका के प्रचवनों का संग्रह...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
निवेदन
महापुरुषों के प्रत्येक भाव एवं क्रिया में सम्पूर्ण प्राणियों के हित का
भाव भरा रहता है, इसीलिये श्रीगीताजी में उन्हें ‘सर्वभूतहिते
रताः’ ‘कहा गया है। जैसे हमें संसार प्रत्यक्ष दिखायी देता है
वैसे ही उन्हें यह प्रत्यक्ष दिखायी देता है कि जो भाई-बहिन अब इस
मनुष्यजन्म में भगवत्प्राप्ति के लिये चेष्टा न करके अपना समय प्रमाद तथा
बुरे आचरणों में बिताते हैं, परलोक में उन्हें कितना महान् कष्ट
भोगना पड़ेगा। उस भावी दुःख में हमें बचाने के लिये उनका सब तरह का प्रयास
होता है। हमारी धारणा में परम श्रद्धेय श्रीदयालजी गोयन्दका भगवान् से
अधिकार प्राप्त पुरुष थे। उन्होंने अपने आचरणों से एवं समय-समय पर
पारमार्थिक बातों से लोगों को भगवान् की ओर लगाने का महान् प्रयास किया
है। लगभग 60-65 वर्ष पहले उन्होंने जो आध्यात्मिक प्रवचन दिये थे उन्हें
किसी श्रद्धालु सज्जन ने लिपिबद्ध कर लिये थे। उन लिपिबद्ध प्रवचनों का
साधारण भाई-बहिनों को आध्यात्मिक लाभ मिल जाय, इस उद्देश्य से
उन
प्रवचनों को पुस्तक का रूप दिया जा रहा है। इन प्रवचनों में उन्होंने अपने
जीवन की बातें तथा हम सभी लोगों के लिये महान् उपयोगी बातें कहीं हैं।
हमें आशा है कि आपलोग इन प्रवचनों को पढ़कर जीवन में लाकर विशेष लाभ लेंगे।
-प्रकाशक
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