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प्रसंगत:

अमृता भारती

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 1995
पृष्ठ :248
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10447
आईएसबीएन :

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प्रसंगतः' में संगृहित सामग्री के विषय ऐसे तो हैं ही जिनसे अमृता भारती वर्षों से निरन्तर उलझती रही हैं. साथ ही ऐसे विषय-सन्दर्भ भी हैं…

प्रसंगतः' में संगृहित सामग्री के विषय ऐसे तो हैं ही जिनसे अमृता भारती वर्षों से निरन्तर उलझती रही हैं. साथ ही ऐसे विषय-सन्दर्भ भी हैं जिनकी चुनौतियों से किसी भी सजग और समर्थ समकालीन लेखक के लिए कतराना असम्भव है. इसमें साहित्य की विभिन्न विधाओं---निबन्ध, पत्र, व्यक्तिचित्र, एकालाप डायरी आदि के माध्यम से लेखक और लेखन की प्रकृति, परिवेश और उसकी स्थिति तथा सम्बन्धों का परिष्कृत और विलक्षण विवेचन-सम्प्रेषण है.

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