संस्मरण >> बाजे पायलिया के घुँघरू बाजे पायलिया के घुँघरूकन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'
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इस पुस्तक में आप ऐसा साहित्य पाएँगे, जिसमें हमारे राष्ट्रीय गुणों का प्रदर्शन एवं पोषण दोनों हैं, और
इस पुस्तक में आप ऐसा साहित्य पाएँगे, जिसमें हमारे राष्ट्रीय गुणों का प्रदर्शन एवं पोषण दोनों हैं, और वह भी किसी सूखे उपदेश या प्रवचन के रूप में नहीं. इस पुस्तक में आप एक जीवन्त और धड़कते हृदय के मित्र को पाएँगे, जो सदा आपको आनन्द दे, राह दिखाए. इस पुस्तक को पढ़कर आपको पता चलेगा कि पुस्तकों से जीवन को बदलने का क्या अर्थ है; क्योंकि आप ख़ुद अपने में परिवर्तन पाएँगे.
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