गीता प्रेस, गोरखपुर >> दुखों का नाश कैसे हो दुखों का नाश कैसे होजयदयाल गोयन्दका
|
9 पाठकों को प्रिय 370 पाठक हैं |
श्रीजयदयालजी गोयन्दका के आध्यात्मिक प्रवचनों का संग्रह...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
।।श्रीहरि:।।
एक बार श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका के मुख से शब्द निकले कि
‘मैं आयुर्वेद जानता हूँ तथा ज्योतिष शास्त्र को भी जानता हूँ पर
उनके विषय में यह नहीं कह सकता कि आप चाहे जो पूछ लें, परन्तु अध्यात्म
विषय में मैं आपको कहता हूँ कि आप जो चाहें पूँछ सकते हैं।’ ये वचन
कलकत्ता में गंगा किनारे लोहाघाट पर कहे गये थे। इनसे उनकी अध्यात्म विषयक
पूर्णता का परिचय हमें मिलता है। ऐसे अध्यात्म विषय के जानकर महापुरुष के
द्वारा समय-समय पर गीताभवन स्वर्गाश्रम की स्थापना से पूर्व वटवृक्ष पर
गोरखपुर में, बाँकुड़ा में सत्संग की बहुत महत्त्वपूर्ण बातें कही गयीं
तथा प्रवचन हुए, उन प्रवचनों को लिखा गया था। उनका संकलन इस पुस्तक में
किया गया है। परमार्थ के जिज्ञासु इन सत्संग की बातों से विशेष आध्यात्मिक
लाभ उठा सकें, इस भाव से यह संकलन हुआ है। पुराने प्रवचनों से जो पुस्तकें
प्रकाशित हुई हैं, उन पुस्तकों को सत्संगी भाइयों ने बड़े उत्साह से लिया
है। हमें आशा है कि इस पुस्तक से भी परमार्थ की ओर चलने वाले भाई-बहिन
विशेष लाभ उठाकर हमें उत्साहित करेंगे।
-प्रकाशक
|
विनामूल्य पूर्वावलोकन
Prev
Next
Prev
Next
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book