पत्र एवं पत्रकारिता >> पुरातत्त्व का रोमांस पुरातत्त्व का रोमांसभगवतशरण उपाध्याय
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भगवतशरण सिर्फ लेखक की हैसियत से ही नहीं वरन एक पुरातत्त्वशास्त्री की तरह भी अपरिचित समय, इतिहास और संज्ञान को सूत्रबद्ध करते हैं…
भगवतशरण सिर्फ लेखक की हैसियत से ही नहीं वरन एक पुरातत्त्वशास्त्री की तरह भी अपरिचित समय, इतिहास और संज्ञान को सूत्रबद्ध करते हैं। किसी पुरातात्त्विक के प्रेम की कैफियत और ज़रूरी ज़िद के विषय में कुछ भी कहना सर्वविदित सत्य का दुहराव ही होगा। उपाध्याय जी ने पुरातत्त्व के उन स्थलों को निकट से देखा है, कुछ की खुदाई में शामिल रहे हैं और कुछ की सामग्री खनिकों की डायरियों से ली हैं।
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