पत्र एवं पत्रकारिता >> दिल्ली में उनींदे दिल्ली में उनींदेगगन गिल
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मुझे नहीं मालूम, बोझा ढोते हुए यह संसार कैसा दीखता है, सड़क पर सोते हुए कैसा, ऑटो में रहते हुए कैसा...
मुझे नहीं मालूम, बोझा ढोते हुए यह संसार कैसा दीखता है, सड़क पर सोते हुए कैसा, ऑटो में रहते हुए कैसा...।मेरे पास उसके प्रश्न का कोई उत्तर नहीं।
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