लेख-निबंध >> अराजक उल्लास अराजक उल्लासकृष्णबिहारी मिश्र
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कृष्ण बिहारी मिश्र के इन निबन्धों को व्यक्तित्वपरक निबन्ध कहना तो ठीक है, लेकिन केवल ललित कह देने से उनके समर्थतर पक्ष की उपेक्षा हो जाती है
कृष्ण बिहारी मिश्र के इन निबन्धों को व्यक्तित्वपरक निबन्ध कहना तो ठीक है, लेकिन केवल ललित कह देने से उनके समर्थतर पक्ष की उपेक्षा हो जाती है। भाषा का लालित्य नहीं, आंचलिक जीवन से रागात्मक सम्बन्ध की समृद्धता ही उनका असल उर्जा-स्रोत है। और इस राग-बंध में कहीं भावुकता नहीं है :
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