भाषा एवं साहित्य >> हिन्दी व्याकरण के नवीन क्षितिज हिन्दी व्याकरण के नवीन क्षितिजरवीन्द्र कुमार पाठक
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व्याकरण' अपने प्रकट स्वरुप में एककालिक (या स्थिरवत प्रतीयमान ) भाषा का विश्लेषण है,
व्याकरण' अपने प्रकट स्वरुप में एककालिक (या स्थिरवत प्रतीयमान ) भाषा का विश्लेषण है, जो भाषाकृति-परक है. किन्तु, वह पूर्णता व संगति तभी पता है जब ऐतिहासिक-तुलनात्मक भाषावैज्ञानिक प्रक्रियाओं तथा अर्थ-विचार की धारणाओं के भीतर से निकल कर आये.
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