नई पुस्तकें >> पंछी ऐसे आते हैं पंछी ऐसे आते हैंविजय तेन्दुलकर
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
विजय तेंडुलकर की मूल मराठी नाटक कृति ‘अशी पाखरे यती’ का यह हिंदी अनुवाद अब पूरे देश की नाट्य सम्पदा का महत्त्वपूर्ण अंश है। जहाँ भी रंगमंच जिवंत है, वहां यह नाटक लगातार खेला जा रहा है। कितने ही नगरों में दर्शकों की माँग पर इस नाटक के अनेकानेक प्रदर्शन हुए हैं जो कृति के समग्र प्रभाव का आकलन तो करते ही हैं - लोकरूचि के स्वस्थ परिवार की भी सूचना देते हैं। नाटक में तमाम शिल्पगत विशेषताएं भरी हुई हैं। सबसे अचरज की बात यह है कि यह नाटक साधारण दर्शक से लेकर सुरुचि संपन्न अभिजात्य बौद्धिक वर्ग को भी तीन घंटे तक अपने अन्दर बांधे रहता है। इस अर्थ में यह कृति सचमुच नाट्य जगत की अभूतपूर्व घटना है-जैसा कि भारतीय पत्र-पत्रिकाओं ने इसके बारे में एक स्वर से घोषणा की है। इस नाटक ने हर स्तर के दर्शकों को बरबस आकर्षित और अभिभूत किया है। अपने भीतर प्रवाहित करुणा की धारा को संपुन्जित किये हुए दर्शकों को यह नाटक हँसाता चलता है। यह इस नाटककार की अपनी विशेषता है।
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