नई पुस्तकें >> तरुणों के लिए कहानियाँ तरुणों के लिए कहानियाँगिरिराजशरण अग्रवाल
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हमारे बालक हमारी और हमारे राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। हमारे परिवार तथा उसके बाद पास-पड़ोस, संबंधियों और परिचितों की क्रियाओं और उनके चिंतन का उन पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
प्रायः बच्चों और तरुणों को आधार बनाकर लिखा गया साहित्य कल्पना-जगत में विचरण कराने वाला था। लेकिन दुनिया जिस तेजी से बदल रही है, उसी तेजी से बालकों के चिंतन और सोच में भी अंतर आया है। वे हर क्रिया को मनोविज्ञान की तराजू पर तोलते हैं और जब बोलते हैं तो अपने प्रश्नों से निरुत्तर कर देते हैं। इस संग्रह की तेरह कहानियाँ तरुणों की जिज्ञासा, उनके मनोविज्ञान और समाधान की कहानियाँ हैं, जो निश्चय ही उन्हें पसंद आएँगी।
प्रायः बच्चों और तरुणों को आधार बनाकर लिखा गया साहित्य कल्पना-जगत में विचरण कराने वाला था। लेकिन दुनिया जिस तेजी से बदल रही है, उसी तेजी से बालकों के चिंतन और सोच में भी अंतर आया है। वे हर क्रिया को मनोविज्ञान की तराजू पर तोलते हैं और जब बोलते हैं तो अपने प्रश्नों से निरुत्तर कर देते हैं। इस संग्रह की तेरह कहानियाँ तरुणों की जिज्ञासा, उनके मनोविज्ञान और समाधान की कहानियाँ हैं, जो निश्चय ही उन्हें पसंद आएँगी।
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